आजाद भारत के अमृतकाल को समर्पित वर्ष 2022-23 के बजट में खेती-किसानी से जुड़ी कई योजनाओं को केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है जबकि कई महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट में कटौती की है। किसान आंदोलन और कोविड काल के बाद पेश हो रहे इस बजट से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सरकार ने खेती-किसानी से जुड़ी कई योजनाओं को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जिस डिजिटल एग्रीकल्चर पर जोर दिया है उसके लिए भी बहुत मामूली बजट आवंटित किया है जबकि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाली दो अहम योजनाएं बंद होने जा रही हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की जिन योजनाओं के लिए इस साल बजट में कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है उनमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, कृषि यंत्रीकरण पर उपमिशन, परंपरागत कृषि विकास योजना और मृदा स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय परियोजना शामिल हैं। इन योजनाओं का राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में विलय कर 10433 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
हरित क्रांति से जुड़ी करीब 13 हजार करोड़ की 20 योजनाओं को बंद कर केंद्र सरकार ने 7183 करोड़ रुपये के बजट के साथ कृषोन्नति योजना की शुरुआत की है। कृषोन्नति योजना के तहत कृषि से जुड़े 10 क्षेत्रों के लिए बजट आवंटित हुआ है, मगर यह हरित क्रांति की योजनाओं के आवंटन से काफी कम है। देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाली हरित क्रांति के नाम से चल रही योजनाओं का बंद होना एक युग के समाप्त होने जैसा है।
बजट में किसानों को कोई बड़ी सौगात मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा होना तो दूर पहले से चल रही कृषि की योजनाओं पर बजट कटौती की मार पड़ी है। आश्चर्य की बात यह है कि किसानों को सीधा लाभ पहुंचाने वाले कृषि यंत्रीकरण की योजना को भी बंद कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में गंगा किनारे प्राकृतिक खेती को बढ़ाने देने का दावा किया है, लेकिन जैविक खेती से जुड़ी दो अहम योजनाओं परंपरागत कृषि विकास योजना और नेशनल प्रोजेक्ट ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है। एक तरफ सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात करती है जबकि दूसरी तरफ जैविक और परंपरागत खेती से जुड़ी योजनाएं बंद की जा रही है। यह अपने आप में नीतिगत विरोधाभास है।
आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए उनके चौथे बजट में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 15,500 रुपये का प्रावधान किया गया है जबकि पिछले साल के बजट में इस योजना के लिए 16,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित था। फसलों पर मौसम की मार से किसानों को बचाने के लिए ज्यादा किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाने की जरूरत है लेकिन सरकार ने इसके बजट में ही कटौती कर दी।
किसानों को उपज का उचित दाम दिलवाने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना के लिए महज एक करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है जबकि पिछले साल बजट में इस योजना के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसका मतलब है कि कीमतों के उतार-चढ़ाव से किसानों को बचाने की कोशिशों से सरकार ने हाथ खींच लिया है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि यंत्र मुहैया कराने की योजना को लेकर केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है। इस साल के बजट इस योजना के लिए कोई आवंटन नहीं हुआ जबकि पिछले साल इसके लिए 700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
यूपी, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों को मिलने वाली छह हजार रुपये सालाना की सहायता राशि में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीएम-किसान योजना का बजट 65 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 68 हजार करोड़ रुपये किया गया है जो योजना के मौजूदा खर्च के लिए आवश्यक है। पिछले वर्षों के बजट में केंद्र सरकार ने फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन यानी एफपीओ पर काफी जोर दिया था। लेकिन इस साल एफपीओ को बढ़ावा देने वाली योजना का बजट भी 700 करोड़ रुपये से घटाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया है। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के बजट को भी गत वर्ष के 900 करोड़ रुपये से घटाकर इस साल 500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
Looks like even the finance minister knew that no theatrics, dialogues or poems can hide the reality that this simple table captures.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 1, 2022
So much for farmers! pic.twitter.com/QDS1j6uu0b
अगर कुल बजट आवंटन के प्रतिशत के तौर पर देखें तब भी कृषि और संबंधित गतिविधियों का बजट 4.26 फीसदी से घटकर 3.92 फीसदी रह गया है। बजट पर निराशा जाहिर करते हुए जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि इस बजट में सरकार किसानों से बदला लेने पर उतारू है। इसमें कोई बड़ी घोषणा नहीं है। कोई आवंटन नहीं है। पूरे कृषि क्षेत्र को वित्त मंत्री ने दो-तीन मिनट में निपटा दिया।
इस बजट में डिजिटल इकोनॉमी पर काफी जोर दिया गया है। कृषि के क्षेत्र में भी किसान ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी। डिजिटल एग्रीकल्चर के लिए बजट में 60 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो पूरे देश के लिहाज के नाकाफी है।
(साभार: असलीभारत.कॉम)