Connect with us

Hi, what are you looking for?

समाचार

विधानसभा की बैकडोर भर्तियों पर स्वामी के हस्तक्षेप का विरोध

जहां एक तरफ विधानसभा के बर्खास्त कर्मियों की बहाली के लिए उत्तराखंड कांग्रेस के बड़े नेता प्रयासरत हैं, वहीं विधानसभा की बैकडोर भर्तियों के खिलाफ कांग्रेस के भीतर से आवाज उठी है। कांग्रेस से जुड़े नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों की पुन: बहाली के लिए भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के हस्तक्षेप पर कड़ा ऐतराज किया है। थापर विधानसभा भर्तियों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मुद्दे पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर कर चुके हैं।

सुब्रह्ममण्यम स्वामी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर विधानसभा के बर्खास्त 228 तदर्थ कर्मचारियों की पुन: बहाली का आग्रह किया है। देहरादून निवासी अभिनव थापर का कहना है कि सुब्रह्ममण्यम स्वामी को उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है। उनके पत्र से उत्तराखंड के युवाओं के हितों पर कुठाराघात हुआ है। इसलिए विधानसभा भर्ती मामले पर जनहित याचिका का निर्णय आने तक सुब्रह्ममण्यम स्वामी अपना पत्र वापस लें।

उत्तराखंड के युवा पेपरलीक और भर्ती धांधलियों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, वहीं विधानसभा में पक्षपातपूर्ण तरीके से अपने करीबियों को नौकरी दिलाने के मामले उजागर हुए हैं। बैकडोर से ये नियुक्तियां राज्य गठन के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों के कार्यकाल में हुईं, इसलिए इस मुद्दे पर कांग्रेस से तेवर भी नरम हैं। पिछले दिनों उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण से मिलकर विधानसभा के बर्खास्त कर्मियों की बहाली के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाकर हल निकालने का सुझाव दिया था।

अभिनव थापर ने विधानसभा भर्ती में राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से वर्ष 2022 तक समस्त नियुक्तियों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में कराने और भ्रष्टाचार से नौकरी देने वाले मंत्री/अफसरों से सरकारी धन की रिकवरी की मांग की है। उनका कहना है कि उत्तराखंड के युवा पारदर्शी परीक्षा व्यवस्था और पेपर लीक में संलिप्त सभी दोषियों को सजा दिलाने हेतु सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। थापर ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को विधानसभा में नौकरियां दीं, जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं का भरोसा टूटा है। यह सरकारों द्वारा किया गया बड़ा भ्रष्टाचार है। किन्तु धामी सरकार युवाओं पर लाठीचार्ज और दोषियों पर कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है।

संबंधित पोस्ट

सफलता

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो मरीजों के घुटनों का सफल प्रत्यारोपण

नीति

साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से छोटी नौकरियों में इंटरव्यू को खत्म करने की बात कही थी

संघर्ष

उत्तराखंड में एक तरफ जहां सशक्त भू-कानून की मांग उठ रही है, वहीं अवैध कब्जों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जा...

समाचार

उत्तराखंड में ऋषिकेश, हल्द्वानी-काठगोदाम और रुद्रपुर में रिलायंस जिओ की 5जी इंटरनेट सेवा शुरू हो गई है। इससे पहले देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में...