बरसात के सीजन में मानसून की बेरुखी झेलने के बाद अब किसानों पर बारिश कहर बरपा रही है। पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में लगातार बारिश से फसलें बर्बाद हो गई हैं। बेमौसम बारिश की वजह से धान, सोयाबीन, बाजरा, उड़द, अरहर, मूंग और सब्जियों को नुकसान पहुंचा है।
सबसे ज्यादा बर्बादी धान की तैयार फसल की हुई है। कई जगह मंडियों में धान भीग रहा है तो बहुत से किसानों की पकी फसल कटने से पहले ही पानी में डूब गई है। मानसून की विदाई के बाद लगातार बारिश के कारण धान की कटाई में देरी होगी, जिससे सरसों, चना और मटर जैसी रबी फसलों की बुवाई भी लेट हो जाएगी। जिन खेतों में आलू की बुवाई की तैयारी चल रही थी, बारिश ने उन किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
मुआवजे की मांग
देश के कई राज्यों जिस बड़े पैमाने पर बेमौसम बारिश की मार पड़ी है, उसका असर कृषि उत्पादन पर पड़ना तय है। पहले बारिश की कमी के चले धान की बुवाई प्रभावित हुई थी, अब फसल तैयार हुई तो बेमौसम बरसात की मार पड़ रही है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि कई राज्यों में किसानों पर मौसम की मार को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर सरकार किसानों को तुरंत मुआवजा दे। पहले कम बारिश और अब बेमौसम बरसात ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को दोनों का मुआवजा मिलना चाहिए। सरकार किसानों की कर्जमाफी पर भी विचार करे।
अगले दो-तीन दिन बारिश की संभावना
अगले दो दिन उत्तर भारत के कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली समेत 17 राज्यों में अगले दो-तीन दिन तक भारी बारिश हो सकती है। यूपी, उत्तराखंड और पूर्वी राजस्थान में 11 अक्टूबर तक हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी। यूपी में लखनऊ, मेरठ, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, समेत 49 जिलों के लिए अलर्ट जारी किया गया है
उत्तराखंड में बारिश ने पर्वतीय व तराई क्षेत्र के किसानों की मेहनत को भारी नुकसान पहुंचाया है। सबसे ज्यादा नुकसान तराई में धान की फसल को हुआ है। सब्जी उत्पादकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य में किसानों के सामने उसकी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सरकार को जल्द से जल्द खराब फसलों का सर्वे करवाकर मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड, पश्चिमी यूपी और अवध क्षेत्र के अधिकांश जिलों में भारी बारिश से किसान की फसलें नष्ट होने की तस्वीरें सामने आ रही हैं। लगातार मूसलाधार बारिश के बीच रविवार को प्रदेश में 34 लोगों की मौत हो गई। इनमें बिजली गिरने, मकान ढहने और नदियों में बहने से हुई मौतें शामिल हैं। धान और गन्ने समेत दलहनी फसलें भी प्रभावित हुई हैं। कई जगहों पर पशुओं की भी मौत हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए हादसे के शिकार हुए लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मदद की घोषणा की।
उत्तर भारत में गंगा व अन्य नदियां खतरे के निशान को छू रही हैं। पश्चिमी उप्र के मेरठ, बागपत, बिजनौर, मुजजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद आदि जिलों में पिछले कई दिन से बारिश हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्यादा बारिश से प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों को राहत कार्य चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा से प्रभावित लोगों को तत्काल राहत पहुंचाई जाए और पशुहानि के केस में बिना देरी किए पीड़ितों को सहायता राशि प्रदान की जाए.
राजस्थान में बेमौसम बारिश के कारण झालावाड़, बारां जिलों सहित उदयपुर, जयपुर, कोटा व भरतपुर संभागों में बाजरा, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। वहीं मंडियों में पहुंची फसल भी भीगकर खराब हो चुकी है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दो दिन में हुई भारी बारिश से कई जिलों में फसलों को नुकसान हुआ है। इन जिलों के जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि फसल खराबे की विशेष गिरदावरी कर किसानों को राहत दिलवाना सुनिश्चित करें।
मध्यप्रदेश में भी किसान मानसून की विदाई के बाद हुई बारिश से परेशान हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्वीट में कहा है कि, शिवराज सरकार में आज किसान बेहद परेशान होकर दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ बारिश से उसकी सोयाबीन की फसल खराब हो गयी है और दूसरी तरफ खाद के लिये किसान परेशान हो रहा है। मध्यप्रदेश में फसलों की बर्बादी से त्रस्त किसान सरकार से नुकसान के आकलन और मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं।
